Sunday, November 1, 2009

..क्यों होता है...

..क्यों होता है................
हर हंसी का अंत मायूसी क्यों होता है,
हर महफिल का अंत तन्हाई क्यों होता है,
क्यों टूट जाते हैं रिश्ते छोटी-छोटी बातों पर,
वक़्त के साथ मानव बदलाव क्यों होता है,
जिस बारे में हम सोचना ही नहीं चाहते,
वो हमारे दिल में क्यों होता है,
दुनिया में सभी कुछ है जो अच्छा होता है,
फिर हमारे ही साथ कुछ अलग क्यों होता है,
हर बात मैं आने लगती हैं बंदिशें,
कभी-कभी बढ़ जाती हैं रंजिशें,
किसी काम को करने से पहले मन मैं इतना सारा तनाव क्यों होता है,
किसी की बेवफाई से दिल ज़ख्मी क्यों होता है,
हम किसी को कभी पसंद करने लगते हैं,
उसी के बारे में अक्सर सोचने लगते हैं,
हम तो उन्हें चाहने लगते हैं लेकिन,
उनके दिल में हमारे लिए नफरत क्यों होती है,
कहीं-कहनी दोस्तों में बुरा हाल होता है,
हर दोस्ती का अंत रुसवाई से क्यों होता है,

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